Thursday, March 4, 2010

निवेशकों को लूटने की खुली छुट

सुनिए वित्त मंत्रीजी कालम
प्री बजट न्यूज सीरिज-1
आईपीओ प्राइसिंग फिक्स करने के मानक ही नहीं

सेबी ने आईपीओ आईपीओ लाने के तो नियम, लेकिन प्राइसिंग फिक्स करने के नियम नहीं
इश्यु के लीड मैनेजर ही तय कर रहे है इश्यू प्राइसिंग
रिलायंस पॉवर के करंट के भी नहीं लिए करीब 15 करोड़ रु. मार्केट केपिटलाइजेशन वाले शेयर बाजार का हाल
मनीष उपाध्याय
इंदौर। निवेशकों को 'राजा से रंक और रंक से राजा" बनाने वाले शेयर बाजार में निवेशकों को रंक बनाने से बचाने के ठोस उपाय की दरकार इस बजट में अधिक शिद्द्त से की जा रही है। घोर ताज्जुब की बात है कि अरबों रु. का कारोबार करने वाले देश के शेयर बाजार में प्रति वर्ष करोड़ रु. मूल्य के सैकड़ों आईपीओ प्रतिवर्ष आते है, लेकिन इन आईपीओ की ाइजिंग तय करने का देश के पूँजी बाजार नियामक सेबी ने अभी तक कोई मानक ही तय नहीं किया है। इस अंधेरगर्दी के कारण आम निवेशक आईपीओ में निवेश के बाद कंपनियों की ठगी के शिकार हो जाते है। गत दिनों केंय कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्री सलमान खुर्शीद ने इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में चिंता जताई थी कि देश में व्यवसायिक गतिविधियाँ तो बढ़ रही है, लेकिन निवेशक अभी तक अच्छे से शिक्षित नहीं हुए है। निवेशकों की इसी अशिक्षा का फायदा कंपनियों उन्हें ठगने के रुप में उठा रही है, जो मनमाने ीमियम पर पर आईपीओ लाकर निवेशकों की जेब से रुपया निकालने में कामयाब हो जाती है। इसका ज्वलंत उदाहरण है रिलायंस पॉवर का मेगा आईपीओ, जो लस्टिंग के दिन ही शेयर बाजार में ढेर हो गया।
क्यों है जरुरी : रिलायंस पॉवर का ही उदाहरण लेकर देखे कंपनी 10 रु। के शेयर पर अपर ाइस बैंड 450 रु। के ीमियम पर आईपीओ लेकर आई थी। गौर करने वाली बात है कि उस वक्त कंपनी के पास 1 इंच जमीन नहीं थी, एक भी प्लांट नहीं था और एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं करती थी, फिर भी भो भोलेभाले निवेशकों ने उसके इश्यू को सिर्फ रिलायंस और अंबानी का नाम देखकर रिकार्डतोड़ 72 गुना अभिदान (सब्सक्राइब) दे दिया। दूसरी ओर और सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी जिसके उस वक्त करीब 5 प्लांट बिजली उत्पादन कर रहे थे, उसके शेयर का उस वक्त मूल्य करीब 70 रु। था।
क्या है वर्तमान व्यवस्था : फिलहाल इश्यू की कीमत ( प्राइसिंग ) इश्यू के लीड मैनेजर तय करते है। उनके सामने भी इश्यू का मूल्य तय करने का कोई कानूनी दिशानिर्देश नहीं है। इसी का फायदा उठाकर लीड मैनेजर मनमाने ीमियम पर इश्यू ाइस घोषित कर देते है, जो कंपनी के संबंधित क्षेत्रके पीई मल्टीप के मुताबिक नहीं होते है।
क्या व्यवस्था होना चाहिए : जिस सेक्टर का इश्यू आ रहा है वह उस सेक्टर की 10 बड़ी कंपनियों का जो भी पीई मल्टीपल चल रहा है उसे इश्यू का बेस ाइस मानना चाहिए। फिर इश्यू उस बेस ाइस से 5 से 10 तिशत ऊपर-नीचे के मूल्य पर इश्यू का प्राएस तय किया जाना चाहिए। विश्ोषज्ञों का भी मानना है कि आईपीओ की प्राइसिंग का यहीं फेयर वेल्यूएशन होगा।
सेबी बनाए नियम : इश्यू प्राइसिंग शेयर बाजार नियामक भारतीय तिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को करना चाहिए या फिर उसे आगे आकर इस संबंध में कोई मार्गदर्शक नियम बनाना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो निवेशकों का पूँजी बाजार में निवेश करने पर विश्वास पैदा होगा और उसके ठगे जाने की गुंजाइश भी कम रहेगी।

एफएंडओ में रिटेल इंवेस्टर के ट्रेडिंग करने पर हो सख्ती
डेरिवेटिव ट्रेडिंग या एफंडओ में रिटेल इंवेस्टर के ट्रेडिंग करने की अधिक सख्त बनाया जाना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे भी इसमें खरीदी लॉट बहुत ज्यादा होते है, लेकिन फिर भी जोखिम लेने वालों को बचाने के लिए इसे अधिक सख्त बनाया जाना चाहिए।
क्या है खराबी : एफएंडओ में रिटे इंवेस्टर जेब में 100 रु। होने पर 500 रु. का खेल खेलता है। फिर इसका उलट होने पर वह कंगाल हो जाता है जो कभी-कभी निवेशकों की आत्महत्याओं के रुप में सामने आता है। निवेशक सबसे ज्यादा धन इसी ट्रेडिंग में खोते है। एफएंडओ को ट्रेडिंग इंस्ट्मेंट के रुप में नहीं, बल्कि हेजिंग इंस्ट्रूमेंट के रुप में उपयोग किया जाना चाहिए।

एसएमई के लिए बने अग स्टॉक एक्सचेंज
सरकार को सेबी को निर्देश देना चाहिए कि वह लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए अलग स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना करें, ताकि छोटी-छोटी कंपनियों के शेयरों में भी ट्रेडिंग शुरू हो सके तथा अन्य एसएमई प्रोत्साहित हो सके। ऐसा नहीं होने के कारण ही क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज उद्देश्यहीन हो गए और उनमें लिस्टेड शेयर आज गुमनामी में है।

आईपीओ प्राइसिंग के बारे में अभी तक सरकार या सेबी की ओर से कोई गाइड लाइन ही नहीं है। आईपीओ लाने वाले नियमों के इस अभाव का फायदा उठाकर भोलेभाले निवेशकों को ठगने में कामयाब हो जाते है। वित्त मंत्री को इस ओर जरुर ध्यान देना चाहिए।
निशांत न्याती, रीजन डायरेक्टर, आनंद राठी सिक्युरिटस

यह चिंताजनक स्थिति है। प्राय: यह देखने में आता है कि सेबी का कंट्रो नहीं होने से इश्यू प्राइस बहुत ऊँचा होता है, जो लिस्टिंग के बाद ढेर हो जाता है। सेबी और सरकार को निवेशकों के हित में इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहए।
संतोष मुछाल , डायरेक्टर मध्य देश स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड

1 comment:

  1. जब रिलायंस एनर्जी का इश्यु निकला था तब कोई भी पत्रकार सही बात लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. इस कदर मीडिया मैनेजमेंट किया गया था. वैसे इश्यु प्राइज़ को नियंत्रित करने वाला कोई भी एक्ट कभी भी लागू नहीं होगा. क्योंकि इससे राजनेताओं और पूंजीपतियों के एक वर्ग के हित जुड़े हुए हैं. अगर दबाव के कारण यह एक्ट आ भी जाता है तब इसमें जानबूझ कर काफी सारे लूपहोल रखे जाएंगे.

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