Tuesday, February 9, 2010

50 लाख रु. की वसूली

समय पूर्व कर्ज भुगतान पर बैंकों द्वारा जुर्माना वसूलने का मामला

लोन के प्रीपेमेंट पर इंदौर में बैंकों व होम लोन कंपनियों द्वारा जुर्माने के रुप में वसूली का मोटा आँकड़ा

वसूली खत्म होने की व्यवस्था बने-बैंकों की भी राय

मनीष उपाध्याय

मी द्वारा लिए कर्ज के समय पूर्व भुगतान पर जुर्माना के रूप में आकेले इंदौर

में ही बैंकों द्वारा प्रति माह करीब 50 लाख रूपये की वसूली की जाती है। यह तथ्य एक आरंभिक सर्वेक्षण में उभर कर आया है। इस वसूली को बैंकें अपनी व्यवस्था के सुचारु संचान के लिए जरुरी बताने के साथ-साथ इसमें सुधार की बात भी स्वीकारती है।एक आरंभिक सर्वेक्षण में यह देखने में आया है कि विभिन्ना बैंकों और होम फाइनेंस करने वाली कंपनियों को अकेले इंदौर में ही तिमाह तकरीबन 25 करोड़ रु। के कर्जों का समय पूर्व भुगतान होता है। बैंकों व होम फाइनेंस कंपनियों द्वारा वसूली की दर 2 तिशत होने के ि हाज से वसूली की गई राशि मौटे तौर पर करीब 50 ाख रु। होती है। मालूम हो कि जुर्माना वसूली की दर कर्ज की शेष बची राशि के 2 तिशत तक होती है। इस मामले में निजी क्षेत्र की बैंकें अधिक सख्त नजर आती है। दबी जुबान में माना- गैर वाजिब हैनिर्धारित समय से पूर्व ऋणदाता बैंक को कर्ज की अदायगी पर जुर्माना वसूल ने को आम कर्जदार के साथ-साथ कर्जदाता बैंकिंग क्षेत्र के उच्च अधिकारी भी दबी जुमान में गैर-वाजिब मानते है। भारतीय तिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने भी गत दिनों इस वृत्ति को थम दृष्टया ग त मानते हुए देश के निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के तमाम बैंकों को नोटिस जारी कर सफाई माँगी है।सा भर में 1200 मामले निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंक आईसीआईसीआई बैंक के एक उच्च अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके यहाँ कर्जों के भुगतान के मामले तिमाह 12 से 15 मामले ऐसे होते है जो कर्ज के समय पूर्व भुगतान से संबंधित होते है। सा भर में करीब 1200 ऐसे मामले होते है। अधिकारी ने बताया कि उनके यहाँ कर्ज की शेष बची राशि के समय पूर्व भुगतान पर 2 तिशत तक जुर्माना वसूला जाता है। इसी तरह केव होम लोन देने के लिए स्थापित एचडीएफसी के सूत्रों का भी कहना है कि उनके यहाँ कर्ज राशि के कर्ज पेमेंट के ति माह औसतन 10 से 15 मामले आते है। इनसे 2 से 3 करोड़ रु। तक जुर्माने के रुप में वसूले जाते है। कोई दंड राशि नहीं वसूल सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गज बैंक भारतीय स्टेट बैंक का कहना है कि उनके यहाँ आमतौर पर समय पूर्व कर्ज अदायगी के बहुत कम मामले आते है। क्योंकि उनके यहाँ समय पूर्व भुगतान पर कोई दंड राशि या जुर्माना नहीं वसूले जाता है। सरकारी क्षेत्र के ही एक अन्य ोि य बैंक पंजाब नेशन बैंक के सूत्रों का भी कहना है कि उनके यहाँ पिछले 5-6 सा से कर्ज के ीमेंट का कोई केस नहीं आया है। खकर बताते है जुमाने के बार मेंसभी बैंकों का कहना है कि वे कर्ज देते वक्त ही कर्जदारों को समझौता दस्तावेजों पर साफ-साफ ि खकर बता देते है कि कर्ज के ी-पेमेंट पर क्या शर्त होगी। ी-पेमेंट पर जुर्माना वसू ी की दर भी सभी बैंकों की अ ग-अ ग है। कुछ बैंकें कर्ज के शुरू के 2.5 वर्ष में ही कर्ज का पूरा भुगतान करने पर कोई शुल्क नहीं ेते है, तो वहीं कुछ बैंकों द्वारा अ ग-अ ग समय पर कर्ज का ी-पेमेंट करने पर वसूली की दर शून्य से 2 तिशत तक होती है।

वसूली है मजबूरीबैन्किंग सूत्रों की द ी है कि बैंकें यदि किसी को कर्ज देती है तो वे कर्ज राशि कहीं ओर से उधार ेकर उन्हें देती है, अर्थात उसे भी उस राशि के एवज में किसी को ब्याज देना होता है। ी-पेमेंट से बैंकों को नुकसान नहीं हो इसके ि ए जरुरी है पेनल्टी चार्ज की जाती है। सुधार की है जरुरतबहरहा विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों और होम ोन कंपनियों का जुर्माना वसू ना अनुचित है। इस संदर्भ में बैंकिंग व्यवस्था में सुधार किए जाने की आवश्यकता है। ताकि आम आदमी को इस तरह का जुर्माना वसू ने से राहत दी जा सके।


जनता के लिए कष्टकर ेकिन बैंकों के जरुरीकर्ज के समय पूर्व भुगतान पर बैंक जुर्माना वसू ना जनता के ि हाज से कष्टकर है, ेकिन बैंक को अपने असेट- ायबि टी बंधन को संति त रखने के ि ए इसे वसू ना जरुरी है। बहरहा इसमें कुछ सुधार किया जाना चाहिए।

सर्वज्ञ भटनागर, मुख्य बंधक, पंजाब नेशन बैंक, सर्क ऑफिस इंदौर
पूरी दुनिया में ऐसा होता हैयह बिजनेस है। बैंकों को भी कर्ज देने के लिए कहीं से राशि जुटाना होती है, इसलिए जुर्माना वसू ना सहीं है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो बैंकों का आंतरिक बंधन बिगड़ जाएगा। पूरी दुनिया में ऐसा ही होता है।अजय त्रिपाठी, क्षेत्रीय बंधक, भारतीय स्टेट बैंक
आईसीआईसीआईसी बैंक और एचडीएफसी के अधिकारियों ने अधिकृत रुप से कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।

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